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इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा...


Album: तेरे शहर में..
Lyrics By: मोईन नज़र
Performed By: गुलाम अली

इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा - 2
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा - 2
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा - 2

पूछकर, मेरा पता वक्त, रायदा न करो - 2
मैं तो बंजारा हूँ, क्या जाने, किधर जाऊँगा - 2
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा.....

हर तरफ़ धुंध है, जुगनू है, न चराग कोई - 2
कौन पहचानेगा, बस्ती में, अगर जाऊँगा - 2
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा.....

ज़िन्दगी मैं भी, मुसाफिर हूँ, तेरी कश्ती का - 2
तू जहाँ मुझसे, कहेगी मैं, उतर जाऊँग - 2
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा.....

फूल रह जायेंगे, गुलदानों में, यादों की नज़र - 2
मै तो खुशबु हूँ, फिज़ाओं में, बिखर जाऊँगा - 2
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा.....

इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा
अब अगर और, दुआ दोगे तो, मर जाऊँगा
इतना टूटा हूँ के, छूने से, बिखर जाऊँगा.....
बिखर जाऊँगा - 2


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