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नील गगन पर बैठ कब तक...

by 11:51 AM
नील गगन पर बैठ कब तक चाँद सितारों से झाँकोगे पर्वत की ऊँची चोटी से कब तक दुनिया को देखोगे आदर्शों के बन्द ग्रन्थों में कब तक आराम ...Read More

नज्म बहुत आसान थी पहले...

by 5:24 PM
नज्म बहुत आसान थी पहले घर के आगे पीपल की शाखों से उछल के आते-जाते बच्चों के बस्तों से निकल के रंग बरंगी चिडयों के चेहकार में ढल के नज...Read More

नहीं यह भी नहीं...

by 5:06 PM
नहीं यह भी नहीं यह भी नहीं यह भी नहीं, वोह तो न जाने कौन थे यह सब के सब तो मेरे जैसे हैं सभी की धड़कनों में नन्हे नन्हे चांद रोशन हैं ...Read More

बेसन की सोंधी रोटी पर...

by 4:46 PM
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी...Read More

ये दिल कुटिया है संतों की...

by 4:21 PM
ये दिल कुटिया है संतों की यहाँ राजा भिकारी क्या वो हर दीदार में ज़रदार है गोटा किनारी क्या ये काटे से नहीं कटते ये बांटे से नहीं बंटते न...Read More

हुआ सवेरा...

by 4:09 PM
हुआ सवेरा ज़मीन पर फिर अदब से आकाश अपने सर को झुका रहा है कि बच्चे स्कूल जा रहे हैं... नदी में अस्नान करके सूरज सुनहरी मलमल की पगड़ी ब...Read More
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