ये ठीक है कि तेरी गली में न आयें हम...
ये ठीक है कि तेरी गली में न आयें हम.
लेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हम.
मुद्दत हुई है कूए बुताँ की तरफ़ गए,
आवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएँ हम.
शायद बकैदे-जीस्त ये साअत न आ सके
तुम दास्ताने-शौक़ सुनो और सुनाएँ हम.
उसके बगैर आज बहोत जी उदास है,
'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम.
लेकिन ये क्या कि शहर तेरा छोड़ जाएँ हम.
मुद्दत हुई है कूए बुताँ की तरफ़ गए,
आवारगी से दिल को कहाँ तक बचाएँ हम.
शायद बकैदे-जीस्त ये साअत न आ सके
तुम दास्ताने-शौक़ सुनो और सुनाएँ हम.
उसके बगैर आज बहोत जी उदास है,
'जालिब' चलो कहीं से उसे ढूँढ लायें हम.