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दीवारों से, मिलकर रोना, अच्छा लगता है...


गज़ल/Ghazal: Deewaron Se Milkar Rona Achha Lagta Hai...
चित्रपट / Movie/Album: Mukarrar (1981) (मुकर्रर)
संगीतकार / Music Director: Pankaj Udhas (पंकज उधास)
गीतकार / Lyricist: Qaiser Ul Jafri, (क़ैसर-उल जाफ़री)
गायक / Singer: Pankaj Udhas (पंकज उधास)
Music Label: Universal Music

दीवारों से मिलकर रोना, अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है

कितने दिनों के प्यासे होंगे यारों सोचो तो
शबनम का क़तरा भी जिन को दरिया लगता है

दुनिया भर की यादें हम से मिलने आती हैं
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है

आँखों को भी ले डूबा ये दिल का पागल-पन
आते जाते जो मिलता है तुम सा लगता है

इस बस्ती में कौन हमारे आंसू पोंछेगा
जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है

किसको 'क़ैसर' पत्थर मारूँ कौन पराया है
शीश-महल में एक एक चेहरा अपना लगता है

दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है
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