ज़ुल्मत-ए-शब को, सितारों से, संवारा हम ने...
Music By: अनूप जलोटा
Performed By: अनूप जलोटा
आश जब बन के टूट जाती है रूह किस तारह कसमसाती है.
पूछ उस बदनसीब दुल्हन से , जिसकी बारात लौट जाती है.
ज़ुल्मत-ए-शब को, सितारों से, संवारा हम ने - 2
कितनी रातों को, तुझे, उठ के, पुकारा हम ने - 2
जब कभी हाथ से, उम्मीद का, दामन छूटा
ले लिया, आप के दामन का, सहारा हम ने,
यूँ तो दुनिया भी मुख़ालिफ़ है, हमारी लेकिन - 2
रुख बदलते हुए, देखा है, तुम्हारा हम ने,
हम ज़माने से भी टकरा गए, तेरी खातिर - 2
जो न करना था, किया, वो भी, गंवारा हम ने - 2
ऐन कि, ग़म नहीं, यह जान रहे, या न रहे - 2
पा लिया, उनकी निगहाओं का इशारा हम ने..
ज़ुल्मत-ए-शब को, सितारों से, संवारा हम ने - 2
कितनी रातों को, तुझे, उठ के, पुकारा हम ने - 2
ज़ुल्मत-ए-शब को - अँधेरी रात
Performed By: अनूप जलोटा
आश जब बन के टूट जाती है रूह किस तारह कसमसाती है.
पूछ उस बदनसीब दुल्हन से , जिसकी बारात लौट जाती है.
ज़ुल्मत-ए-शब को, सितारों से, संवारा हम ने - 2
कितनी रातों को, तुझे, उठ के, पुकारा हम ने - 2
जब कभी हाथ से, उम्मीद का, दामन छूटा
ले लिया, आप के दामन का, सहारा हम ने,
यूँ तो दुनिया भी मुख़ालिफ़ है, हमारी लेकिन - 2
रुख बदलते हुए, देखा है, तुम्हारा हम ने,
हम ज़माने से भी टकरा गए, तेरी खातिर - 2
जो न करना था, किया, वो भी, गंवारा हम ने - 2
ऐन कि, ग़म नहीं, यह जान रहे, या न रहे - 2
पा लिया, उनकी निगहाओं का इशारा हम ने..
ज़ुल्मत-ए-शब को, सितारों से, संवारा हम ने - 2
कितनी रातों को, तुझे, उठ के, पुकारा हम ने - 2
ज़ुल्मत-ए-शब को - अँधेरी रात