गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले...
Music By: मेहदी हसन
Lyrics By: फैज़ अहमद 'फैज़'
Performed By: मेहदी हसन
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले - 2
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
क़फ़स उदास है, यारों, सबा से, कुछ तो कहो - 2
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा, आज ज़िक्र-ए-यार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
जो हमपे गुज़री सो, गुज़री, मगर, शब-ए-हिज्राँ - 2
हमारे, अश्क तेरे, आक़बत सँवार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
मक़ाम 'फैज़', कोई, राह में, जचा ही नहीं - 2
जो कू-ए-यार से, निकले तो सू-ए-दार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
कभी तो सुबह तेरे, कुंज-ए-लब्ज़, हो आग़ाज़ -2
कभी तो शब सर-ए-काकुल से, मुश्क-ए-बार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
हुआ जो तीर-ए-नज़र नीमकश तो क्या हासिल -2
मज़ा तो तब है जब सीने के आर पार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
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बड़ा है दर्द का रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही -2
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़मगुसार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब -2
गिरह में लेके गरेबाँ का तार तार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
Lyrics By: फैज़ अहमद 'फैज़'
Performed By: मेहदी हसन
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले - 2
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
क़फ़स उदास है, यारों, सबा से, कुछ तो कहो - 2
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा, आज ज़िक्र-ए-यार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
जो हमपे गुज़री सो, गुज़री, मगर, शब-ए-हिज्राँ - 2
हमारे, अश्क तेरे, आक़बत सँवार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
मक़ाम 'फैज़', कोई, राह में, जचा ही नहीं - 2
जो कू-ए-यार से, निकले तो सू-ए-दार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
कभी तो सुबह तेरे, कुंज-ए-लब्ज़, हो आग़ाज़ -2
कभी तो शब सर-ए-काकुल से, मुश्क-ए-बार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
हुआ जो तीर-ए-नज़र नीमकश तो क्या हासिल -2
मज़ा तो तब है जब सीने के आर पार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
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बड़ा है दर्द का रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही -2
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़मगुसार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......
हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब -2
गिरह में लेके गरेबाँ का तार तार चले
चले भी आओ कि, गुलशन का कारोबार चले
गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले......