रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ...
गज़ल/Ghazal: Ranjish Hi Sahi Dil Hi Dukhane Ke Liye Aa...
चित्रपट / Movie/Album: The Finest Ghazals of Mehdi Hassan
संगीतकार / Music Director: Mehdi Hassan (मेहदी हसन), Ghulam Ali (गुलाम अली)
गीतकार / Lyricist: Ahmad Faraz (अहमद फ़राज़)
गायक / Singer(s): Mehdi Hassan (मेहदी हसन), Ghulam Ali (गुलाम अली)
Music Label:
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आ
अब तक दिल-ए-खुशफ़हम[1] को हैं तुझ से उम्मीदें
ये आखिरी शम्में भी बुझाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
इक उम्र से हूँ लज्ज़त-ए-गिरया[2] से भी महरूम[3]
ऐ राहत-ए-जां[4] मुझको रुलाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत[5] का भरम रख
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
माना के मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ
रंजिश ही सही...
जैसे तुम्हें आते हैं ना आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिए आ
रंजिश ही सही...
पहले से मरासिम[6] ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे[7] दुनिया ही निभाने के लिये आ
रंजिश ही सही...
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ
रंजिश ही सही..
शब्दार्थ:
- किसी की ओर से अच्छा विचार रखने वाला मन
- रोने का स्वाद
- वंचित
- प्राणाधार
- प्रेम का गर्व
- प्रेम-व्यहवार
- सांसारिक शिष्टाचार