अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें...
गज़ल/Ghazal: Agar Hum Kahen Aur Woh Muskura Den...
चित्रपट / Movie/Album: Passions (1987) By Jagjit Singh & Chitra Singh
संगीतकार / Music Director: Jagjit Singh (जगजीत सिंह)
गीतकार / Lyricist: सुदर्शन फाकिर (Sudarshan Faakir)
गायक / Singer: Jagjit Singh (जगजीत सिंह), Chitra Singh (चित्रा सिंह)
Music Label: His Master's Voice (HMV), Saregama
शब्दार्थ:
नशेमन = घोंसला
सिला = पुरस्कार, ईनाम
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें
हम उनके लिए, ज़िंदगानी लुटा दें
हर एक मोड़ पर हम, ग़मों को सज़ा दें
चलो ज़िंदगी, को मोहब्बत बना दें
हर एक मोड़ पर हम, ग़मों को सज़ा दें...
अगर ख़ुद को भूले तो, कुछ भी न भूले
कि चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें ...
कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाए
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें
हर एक मोड़ पर हम, ग़मों को सज़ा दें...
क़यामत के दीवाने, कहते हैं हमसे
चलो उनके चहरे से, पर्दा हटा दें
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें ...
सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें
मगर वो कोई, फ़ैसला तो सुना दें
हर एक मोड़ पर हम, ग़मों को सज़ा दें
चलो ज़िंदगी, को, मोहब्बत बना दें
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें
हम उनके लिए, ज़िंदगानी लुटा दें
चलो ज़िंदगी, को मोहब्बत बना दें
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें
चलो ज़िंदगी, को मोहब्बत बना दें
अगर हम कहें और, वो मुस्कुरा दें
शब्दार्थ:
नशेमन = घोंसला
सिला = पुरस्कार, ईनाम