पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है...
गज़ल/Ghazal: Patthar Ke Jigarwala Gham Mein Wo Rawani Hai...
चित्रपट / Movie/Album: Shamkhana (Live) & Dhadkan
संगीतकार / Music Director: Ahmed Hussain, Mohammed Hussain (अहमद हुसैन, मुहम्मद हुसैन), Talat Aziz (तलत अज़ीज़)
गीतकार / Lyricist: Bashir Badr (बशीर बद्र)
गायक / Singer(s): Ahmed and Mohammed Hussain (अहमद और मुहम्मद हुसैन), Talat Aziz (तलत अज़ीज़)
Music Label: Saregama
चित्रपट / Movie/Album: Shamkhana (Live) & Dhadkan
संगीतकार / Music Director: Ahmed Hussain, Mohammed Hussain (अहमद हुसैन, मुहम्मद हुसैन), Talat Aziz (तलत अज़ीज़)
गीतकार / Lyricist: Bashir Badr (बशीर बद्र)
गायक / Singer(s): Ahmed and Mohammed Hussain (अहमद और मुहम्मद हुसैन), Talat Aziz (तलत अज़ीज़)
Music Label: Saregama
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है
एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है
पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है
क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है
इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना
हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है
रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है
आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है
ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है
इक ज़ेहन-ए-परेशाँ में ख़्वाब-ए-ग़ज़लिस्ताँ है
पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है
दिल से जो छटे बादल तो आँख में सावन है
ठहरा हुआ दरिया है बहता हुआ पानी है
हम-रंग-ए-दिल-ए-पुर-ख़ूँ हर लाला-ए-सहराई
गेसू की तरह मुज़्तर अब रात की रानी है
जिस संग पे नज़रें कीं ख़ुर्शीद-ए-हक़ीक़त है
जिस चाँद से मुँह मोड़ा पत्थर की कहानी है
ऐ पीर-ए-ख़िरद-मंदाँ दिल की भी ज़रूरत है
ये शहर-ए-ग़ज़ालाँ है ये मुल्क-ए-जवानी है
ग़म वज्ह-ए-फ़िगार-ए-दिल ग़म वज्ह-ए-क़रार-ए-दिल
आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है
इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना
हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गँवानी है
दिन तल्ख़ हक़ाएक़ के सहराओं का सूरज है
शब गेसु-ए-अफ़्साना यादों की कहानी है
वो हुस्न जिसे हम ने रुस्वा किया दुनिया में
नादीदा हक़ीक़त है ना-गुफ़्ता कहानी है
वो मिस्रा-ए-आवारा दीवानों पे भारी है
जिस में तिरे गेसू की बे-रब्त कहानी है
हम ख़ुशबू-ए-आवारा हम नूर-ए-परेशाँ हैं
ऐ 'बद्र' मुक़द्दर में आशुफ़्ता-बयानी है